अपराधियों एवं राजनेताओं में कैसे साँठ-गाँठ हुई-“दमन तक्षकों का”
“दमन तक्षकों का” पुस्तक के पिछले दो वृतान्तों में पुलिस एवं प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार का दीदार कराया गया था। अपराधियों एवं राजनेताओं में कैसे साँठ-गाँठ हुई उसे इस पुस्तक से नीचे उद्धरित किया जा रहा है : –

“1980 एवं 90 के दो दशकों में अपराधियों के साये में राजनीति चलती थी। पहले ये अपराधी नेताओं के लिए बूथ छापते थे। बाद में उन्हें ज्ञान हुआ कि उनके बाहुबल पर ही बूथ पर कब्जा होता है जिसके कारण ये नेता मेवा खाते हैं, तो क्यों नहीं अपने परिश्रम का मीठा फल वे स्वयं चखें। उन्होंने कुछ नेताओं को साफ-साफ बतला दिया- “अब आपके लिए हम बन्दूक नहीं उठायेंगे। अब हम अपनी विजय की वैजयन्ती स्वयं फहरायेंगे।” नेताओं ने जब देखा कि जमीन खिसकती जा रही है, तो उन्होंने उनसे साँठ-गाँठ की और उनको सफलता का नया मन्त्र दिया। नेताओं ने अपराधियों को समझाया- “तुम लोग जाहिल हो। अकेले तुम लोगों से राजनीति नहीं हो सकती है। राजनीति चलती है पोलिटिकल पार्टी से। तुम लोगों की सवारी कौन पार्टी करेगी? जो करेगी उसके खिलाफ ये पत्रकार इतना छापेंगे कि पार्टी की लुटिया ही डूब जायेगी। इसलिए हम रास्ता बतलाते हैं कि साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। यदि नेता और अपराधी में साँठ-गाँठ हो जाये तो ठाट-बाट से राजनीति चलेगी ही नहीं, दौड़ेगी। एक लोकसभा क्षेत्र में पाँच-छह विधानसभा क्षेत्र होते हैं। उनमें तुम अपराधी लोग एक या दो क्षेत्र में निर्दलीय के रूप में लड़ो। वहाँ हम लोग कमजोर कैंडिडेट दे देंगे और तुम लोग बूथ छाप कर जीत जाओगे और बाकी चार या पाँच क्षेत्र में तुम लोग अपने बाहुबल से हमें जिता दो। केवल इतना ध्यान रखना कि यदि नेता लोगों की हाजरी में बूथ छाप रहे हो, तो कोई बड़ा काण्ड नहीं कर देना। यदि कोई मर्डर-वर्डर हो गया, तो हम लोग हमेशा के लिए परेशानी में पड़ जायेंगे। बाकी सब ठीक है। हमारे अश्वमेध का घोड़ा चुनाव के मैदान में निकलेगा तो उसे रोकेगा कौन? अरे कोई एकाध सिरफिरा अधिकारी रोकने की कोशिश करेगा, तो फिर हम लोगों की सरकार काहे को है, उसको ठिकाने लगा देंगे, रास्ते से अलग कर देंगे। इससे हम पाक साफ निकल जायेंगे; कोई छींटा भी नहीं पडेगा। तुम्हारे हाथ में जीत का लड्डू और हमारे हाथ में सत्ता की चाभी।”
अपराधियों ने नेताओं की बुद्धि की बलिहारी देते हुए कहा- “ऐसी अक्ल है, तभी तो मुल्क की शक्ल सुधरती जा रही है।” नेताजी ने अपराधी के इस उद्गार के लिए आभार व्यक्त किया और चलते बने।”
इस प्रकार राजनीति में अपराधियों का बड़े पैमाने पर प्रवेश हुआ।